Sunday, 14 August 2011

जय हिंद

आज के  भ्रस्टाचारी युग में , हम सब कुछ से समझौता कर रहे है | चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहे| अगर अन्ना जैसे समाज सेवी ने कुछ करने की ठानी है, तो हमें साथ देना चाहिए , पूंजीपति , राजनेता ,नौकरशाह , अगर ये सही रास्ते पर आ गए तो यह देश वापश सोने की चिड़िया हो जायेगा | चन्द्रगुप्त का भारत जिसे स्वर्ण काल कहते थे , क्या हम उस भारत का स्वप्न नहीं देख सकते , चाणक्य के रूप में अगर अन्ना जैसा गुरु है, एक चन्द्रगुप्त किसी को बनना है| अन्ना को हमारा समर्थन है , इस आन्दोलन में हमसे जो होगा हम करेगे|
ना कुछ लाये है
ना लेकर जायेगे
एक नाम जिसे
मिटा देगे या 
अमर कर जायेगे
 जय हिंद -----६५ वा स्वतंत्रता दिवस की सुभकामनाये

Wednesday, 3 August 2011

मंजिल की तलाश में

मैं राही  
मंजिल की तलाश में
चलता रहा बिना थके बिना रुके
खोजती रही आँखे 
उस हमराह को
दो कदम जो साथ चले 
कुछ लोग मिले भी 
तो नज़रे चुरा कर 
चल दिए
कोई ना मिला ऐसा 
जो मंजिल तक साथ दे,
खुद मेरा साया भी ना चला 
दो कदम साथ मेरे!